इतिहास

show vanshavali

समसपुर गाँव का इतिहास

समसपुर गाँव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की मवाणा तहसील का एक मध्यम आबादी वाला गाँव है। यह जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर और तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। पवित्र गंगा नदी महज 4 किलोमीटर दूर से बहती है। इसके पूर्व में आशिफ़ाबाद, पश्चिम में अमरसिंहपुर, शिवपुरी, उत्तर में नारंगपुर, खूंटी और दक्षिण में केशूपुरा, अटलपुर गाँव की सीमा पड़ती है। इन सब गाँवों से पक्की सड़क से संपर्क है।इस गाँव की लगभग आबादी 4000 लोगों की है जिसमें से लुहाच गौत्र के 20 लोग रहते हैं।


समसपुर के लुहाच पूर्वज मेरठ जिले के अमरपुर गाँव से लगभग 1960 ईस्वी में आए थे। गढ़ी गुलडहर गाँव की वंशावली की पीढ़ी संख्या 35 में मान सिंह के घर इन्दराज सिंह लुहाच पैदा हुए। इन्दराज सिंह अपने चाचा गुलाब सिंह के बेटे रामजी लाल के साथ सपरिवार अमरपुर आए थे।इन्दराज सिंह के तीन बेटे और तीन बेटियाँ थी। बेटियों के नाम गजेन्दरी, बीजेन्दरी, और सरोज थे जबकि बेटों के नाम गजेन्द्र, बिजेंद्र और धर्मबीर थे। गजेन्दरी, और बीजेन्दरी की शादी इन्दराज के जीवित रहते हुए ही हो गई थी।गजेन्दरी की शादी मेरठ जिले के गेजा गाँव में जबकि बीजेन्दरी की शादी समसपुर गाँव में हुई थी। गजेन्द्र का स्वर्गवास अमरपुर रहते हुए ही हो गया था। कुछ दिन के बाद इन्दराज की भी मृत्यु हो गई। परिवार असहाय पड़ गया। बिजेंद्र, धर्मबीर और सरोज की शादी नहीं हुई थी। इस हालत में दोनों बड़ी बहनों को अपने भाइयों और छोटी बहन सरोज की चिंता होने लगी। दोनों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि सरोज को गजेन्दरी अपने पास ले गई और बाद में उसकी शादी मुज़फ्फरनगर जिले के मंसूरपुर गाँव में कर दी। बीजेन्दरी अपने दोनों छोटे भाईयों को अपने पास समसपुर ले आई। बाद में बिजेंद्र की शादी हरियाणा के जींद जिले के पुण्डरी गाँव में कर दी। बीजेन्दरी ने अपने परिवार के हिस्से से कुछ जमीन भी गुजर बसर के लिए दे दी। बाद में बिजेंद्र ने मेहनत करके 21 बीघा जमीन और खरीद ली।


बीजेन्दरी का विवाह लगभग 1925 ईस्वी में समसपुर गाँव के एक बहुत बड़े जमींदार घराने में पीतम सिंह से हुआ था। पीतम सिंह के पास उस समय लगभग 1400 बीघा जमीन थी इस लिए गाँव में उसको राजा पीतम सिंह के नाम से जानाजाता था।पीतम सिंह की 1300 बीघा जमीन 1980 के आस पास सीलिंग में चली गई। अब पीतम सिंह के वंशज के पास लगभग 100 बीघा जमीन बची है। अब इस गाँव में लुहाच परिवार की 38 वीं पीढ़ी चल रही है।